भगवान श्री गणेश प्रथम पूज्य है । गणेश जी प्रथम पूज्य होने के साथ-साथ बहुत ही जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता भी हैं भारत में ज्यादातर लोग भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं ।
और भगवान गणेश जी किसी भी व्रत उपवास करते हैं किसी भी प्रकार की पूजा संपन्न करते हैं तो भगवान गणेश जी का सर्वप्रथम पूजा करना बहुत ही फलदायक होता है ।
भगवान श्री गणेश के पिता भगवान शंकर और माता पार्वती जी हैं और उनका जन्म की कहानी भी आप अच्छी तरह जानते हैं कि भगवान श्री गणेश जी का जन्म कैसे हुआ था।
भगवान श्री गणेश जी का जन्म माता पार्वती जी ने अपने शरीर पर हल्दी चंदन कै उबटन से भगवान गणेश जी की प्रतिमा बनाई और उसमें अपनी दिव्य शक्तियों से प्राण डालकर गणेश जी को उत्पन्न किया ।
माता पार्वती जी को पुत्र प्राप्त करने की इच्छा हुई तब उन्होंने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की और उन्होंने उनसे पुत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना की तब विष्णु भगवान ने गणेश जी के रूप में अवतार लिया ।
भगवान विष्णु भगवान शिव के परम भक्त हैं और उन्होंने भगवान शिव की भक्ति करने के लिए गणेश जी का अवतार लिया जिस प्रकार से भगवान शिव के आराध्य देव भगवान विष्णु है उसी प्रकार भगवान विष्णु के आराध्य देव भगवान शंकर हैं ।
भगवान गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है भगवान गणेश जी का और भगवान शिव के बीच जो युद्ध हुआ था उसके पीछे भगवान की लीला है।
उन्होंने भगवान गणेश जी का मस्तक काटा था और उन्हें गजानन और प्रथम पूज्य का आशीर्वाद दिया ।
भगवान गणेश जी की पूजा कैसे करें Puja Vidhi of Lord Ganesh
दोस्तों यदि आप किसी भी भगवान की पूजा करते हैं तो भगवान गणेश जी का सर्वप्रथम नाम लेना चाहिए और भगवान गणेश जी की सबसे पहले पूजा करनी चाहिए।
भगवान सूर्य को भी जल देने से पूर्व भगवान गणेश जी का नाम लेना बहुत ही आवश्यक होता है यदि हम भगवान गणेश जी का नाम नहीं लेते हैं तो हमारे कार्य जल्दी सफल नहीं होते हैं किसी भी भगवान की पूजा करने से पूर्व भगवान गणेश जी का नाम हमें जरूर लेना चाहिए।
कई बार ऐसा होता है कि हम हमारे इष्ट देव भगवान की बहुत ही पूजा अर्चना करते हैं पर हमें फल की प्राप्ति नहीं होती है इसका कारण यही है यदि आप को पूजा का फल प्राप्त करना है तो आपको सबसे पहले गणेश जी की पूजा या गणेश जी का नाम लेकर( श्री गणेशाय नमः)या ( ओम गं गणपतए नमः) मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
उसके बाद में आप दूसरे किसी भी भगवान आपके इष्ट देव की पूजा अर्चना करें ।जो भी आपके इष्ट देव हैं वह भगवान आप पर जल्दी कृपा करेंगे और आप की मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।
दोस्तों गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है इसके पीछे एक बहुत ही सुंदर कथा प्रचलित है इसलिए गणेश जी को भोग लगाते समय उनके प्रसाद में तुलसी नहीं डालें ।
भगवान गणेश जी की पीतल की या अष्टधातु की मूर्ति किसी भी चतुर्थी के दिन लाकर उसकी पूजा अर्चना करना बहुत ही शुभ माना गया है।
भगवान गणेश जी की पूजा रोज करना चाहिए।
भगवान गणेश जी का संकटनाशन स्तोत्र का पाठ जिसमें भगवान गणेश जी के बारह नाम दिए हुए हैं वह करने से आप के सारे दुख समाप्त हो जायेगे।
सारे संकट समाप्त हो जाएंगे यह पढ़ने में सिर्फ आपको 1 मिनट का समय लगता है।
चार श्लोक में गणेश जी के बारह नाम दिए हुए हैं यह चार श्लोक यदि आप पढ़ते हैं तो आपके सारे कष्ट धीरे-धीरे दूर होने लगेंगे।
।। प्रणम्य शिरसा देवं गौरी पुत्र विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥
।। प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥
।। लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥
।। नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥
।। द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
।। विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
।। जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥
।।अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥
गणेश चतुर्थी पर यदि आपके पास गणेश जी की पीतल या अष्टधातु की मूर्ति है तो आपको गणेश चतुर्थी पर दूसरी मूर्ति जो मिट्टी की मूर्ति खरीदने की आपको आवश्यकता नहीं है ।
आप सिर्फ पीतल की मूर्ति की 10 दिन नियम से पूजा कर सकते हैं और घर में दसवे दिन पीतल की मूर्ति को एक पानी के घड़े या लोटे में प्रवेश करके वापस पूजा में उसे ले सकते हैं।
यदि आप मिट्टी की मूर्ति खरीदते हैं तो उसे अच्छी जगह पर ही प्रवेश करें अच्छी नदी तालाब में या कुएं में। भगवान गणेश जी की मूर्ति को गंदी जगह पर प्रवेश नहीं करना चाहिए हो सके तो घर पर गमले में ही भगवान की मूर्ति को प्रवेश करें।
भगवान गणेश जी की पूजा करते समय हमें भगवान शिव और माता पार्वती जी का नाम भी अवश्य लेना चाहिए ।
गणेश चतुर्थी पर पूजा करते समय भगवान श्री गणेश की पत्नियां रिद्धि सिद्धि और उनके पुत्र शुभ लाभ और उनकी पुत्री संतोषी माता का भी नाम हमें लेना चाहिए।
भगवान गणेश जी की एक माता गंगा मां को भी माना जाता है कहा जाता है कि जब पार्वती जी ने भगवान गणेश जी को अपने मेल से बनाया था तब उन्हें गंगाजल से स्नान कराने पर उसमें प्राण आ गए थे। इसलिए भगवान गणेश जी का गंगेय नाम भी है और उन्हें गंगा पुत्र भी कहा जाता है।
भगवान गणेश जी के अनेक नाम है और अनेकों रूप में उन्होंने अवतार लिए और राक्षसों का अंत किया भगवान गणेश जी का वाहन मूषक है।
भगवान गणेश की पूजन सामग्री Lord Ganesh Pujan Samagri
- कच्चा दूध, गंगाजल और शहद , दही , देसी घी को मिलाकर भगवान गणेश जी का अभिषेक करें।
- ओम गं गणपतए नमः मंत्र जाप करते जाएं।
- भगवान गणेश जी को जल से स्नान कराकर आसन पर बिठाए।
- चंदन हल्दी कुमकुम चावल अबीर गुलाल सभी प्रकार की पूजन सामग्री से भगवान गणेश जी का पूजन करें।
- दुर्वा चढ़ाएं । जिसे घास भी कहा जाता है
- सिंदूर चढ़ाएं।
- जनेऊ चढ़ाएं या कलेवा भी चढ़ा सकते हैं ।
- मोदक के लड्डू का या बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं ।
- पुष्प चढ़ाएं और धूपबत्ती दीपक से पूजा आरती करें।
- पूजा करते वक्त हरे रंग के वस्त्र पहने चाहिए।
- गुड़ का भोग लगाएं।
- नारियल चढ़ाएं।
- कंडे या कपूर पर घी और गुड से धूप दे।
यदि यह सामग्री आपके पास नहीं हो तो साधारण पूजा भी कर सकते हैं। दीपक लगाकर साधारण तरीके से भी पूजा कर सकते हैं। बस मन में भगवान के प्रति विश्वास और श्रद्धा होनी चाहिए।
हमारे शास्त्रों में मानस पूजा का भी विशेष महत्व है जिसमें हमें सिर्फ मानसिक रूप से पूजा करनी होती है हमारे पास जो सामग्री नहीं है तो फिर हम मन में सोच कर चढ़ा सकते हैं उसका भी फल हमें प्राप्त होता है।
भगवान गणेश जी का जन्म बुधवार के दिन हुआ था। भगवान गणेश जी को हरा रंग और लाल रंग बहुत ही प्रिय है। भगवान गणेश जी को बुध ग्रह के देवता भी कहा जाता है और बुध ग्रह का रंग हरा होता है ।
बुध ग्रह हमारे भाग्य के देवता माने जाते हैं भगवान गणेश जी की पूजा आराधना करने से हमारा भाग्य उदय होता है । भगवान गणेश जी को बुद्धि के देवता भी कहा जाता है। भगवान गणेश जी को सिद्धिविनायक भी कहा जाता है ।